Navneet Singh Chauhan is a digital marketer by profession and a writer by heart. He cares for the nation and the world. Vasudhaiva Kutumbakam
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Wednesday, October 10, 2018
Monday, December 12, 2016
Thought of the day - Life in Heaven
Life without an end will be a Life without purpose. Life in heaven will be a lot more boring.
- Navneet Singh Chauhan
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Friday, November 11, 2016
Spiritual Quotes in Hindi - Hari ka Doha
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Friday, September 2, 2016
Spiritual Quote on Purest form of Mind
When the Mind is Without Thoughts
When the Mind is Set Free
When you are not thinking anything
When you are completely relaxed
At that Moment Mind is in its Purest Form
- Navneet Singh Chauhan
When the Mind is Set Free
When you are not thinking anything
When you are completely relaxed
At that Moment Mind is in its Purest Form
- Navneet Singh Chauhan
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Quote on Time as a Solution and a Problem
Sometimes the only solution to a problem is Time, And most problems in the world would not have been there if we had Time. - Navneet Singh Chauhan
Thursday, August 11, 2016
Quote on Being Selfish
I am Selfish, that's why "I" exist. - Navneet Singh Chauhan
में ख़ुदग़र्ज़ हू, तभी तो "में" हू || - नवनीत सिंह चौहान
में ख़ुदग़र्ज़ हू, तभी तो "में" हू || - नवनीत सिंह चौहान
Wednesday, August 3, 2016
हिंदी कविता - भूली बिसरी यादें - नवनीत सिंह चौहान
बंद किताबो से, सूखे गुलाबो से,
तेरा चेहरा मेरे दिल में उतर आता है।
अनकही अनसुनी हर वोह बात दिल में दस्तक दे जाती है,
जिसे भुलाने की कोशिश में शामे गुजर गई।
कभी यादो के जरोखे में, कभी भिकरे पन्नो में,
सूखे गुलाबो से, आज भी तू मुझ में मिल जाती है,
तू जीवित है मुझ में कही, भूली बिसरी यादो में
आज ना जाने क्यों लगा की तेरी आहट सी आई,
मगर जब पलट देखा तोह पाई बस तन्हाई ।
आज भी में वही ठेरा हु, जहा हम साथ थे,
जाने क्यों यह दिल मेरा ज़िन्दगी भर इंतज़ार करना चाहता है
भूली बिसरी यादो में ही सही, तेरे संग जीना चाहता है
जब कभी टपकते है इन बन्ध पलकों से आसु,
हर बूंद को हम समेट लेते है ।
क्यूँ की आज भी तू मुझ में बस्ती है
कभी आसू तो कभी बंद दरवाजो की सिसकियो में
धुन्दता हूँ खुदा तोह मिलता नहीं, पर तू सहेज मिल जाती है,
भूली बिसरी यादो में ।
अब और में क्या मांगु मेरे खुदा से, जब तू मिल गई है,
मुझे मेरी भूली बिसरी यादो में।
- Navneet Singh Chauhan
तेरा चेहरा मेरे दिल में उतर आता है।
अनकही अनसुनी हर वोह बात दिल में दस्तक दे जाती है,
जिसे भुलाने की कोशिश में शामे गुजर गई।
कभी यादो के जरोखे में, कभी भिकरे पन्नो में,
सूखे गुलाबो से, आज भी तू मुझ में मिल जाती है,
तू जीवित है मुझ में कही, भूली बिसरी यादो में
आज ना जाने क्यों लगा की तेरी आहट सी आई,
मगर जब पलट देखा तोह पाई बस तन्हाई ।
आज भी में वही ठेरा हु, जहा हम साथ थे,
जाने क्यों यह दिल मेरा ज़िन्दगी भर इंतज़ार करना चाहता है
भूली बिसरी यादो में ही सही, तेरे संग जीना चाहता है
जब कभी टपकते है इन बन्ध पलकों से आसु,
हर बूंद को हम समेट लेते है ।
क्यूँ की आज भी तू मुझ में बस्ती है
कभी आसू तो कभी बंद दरवाजो की सिसकियो में
धुन्दता हूँ खुदा तोह मिलता नहीं, पर तू सहेज मिल जाती है,
भूली बिसरी यादो में ।
अब और में क्या मांगु मेरे खुदा से, जब तू मिल गई है,
मुझे मेरी भूली बिसरी यादो में।
- Navneet Singh Chauhan
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