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Sunday, November 10, 2019

Hindi Poem: Andhera. A travelers journey in the dark to meet her love

A hindi poem that narrates a travelers journey in a dark night to meet her love.

The journey is full of uncertainties and hence the emotional touches, the thoughts of her and the darkness.

PS: I will try to add an English version if I get any comments requesting so....

Here it goes.....



Wednesday, August 3, 2016

हिंदी कविता - भूली बिसरी यादें - नवनीत सिंह चौहान


बंद किताबो से, सूखे गुलाबो से,
तेरा चेहरा मेरे दिल में उतर आता है।
अनकही अनसुनी हर वोह बात दिल में दस्तक दे जाती है,
जिसे भुलाने की कोशिश में शामे गुजर गई।

कभी यादो के जरोखे में, कभी भिकरे पन्नो में,
सूखे गुलाबो से, आज भी तू मुझ में मिल जाती है,
तू जीवित है मुझ में कही, भूली बिसरी यादो में

आज ना जाने क्यों लगा की तेरी आहट सी आई, 
मगर जब पलट देखा तोह पाई बस तन्हाई 

आज भी में वही ठेरा हु, जहा हम साथ थे, 
जाने क्यों यह दिल मेरा ज़िन्दगी भर इंतज़ार करना चाहता है 
भूली बिसरी यादो में ही सही, तेरे संग जीना चाहता है

जब कभी टपकते है इन बन्ध पलकों से आसु,
हर बूंद को हम समेट लेते है ।
क्यूँ की आज भी तू मुझ में बस्ती है
कभी आसू तो कभी बंद दरवाजो की सिसकियो में

धुन्दता हूँ खुदा तोह मिलता नहीं, पर तू सहेज मिल जाती है,
भूली बिसरी यादो में ।
अब और में क्या मांगु मेरे खुदा से, जब तू मिल गई है,
मुझे मेरी भूली बिसरी यादो में।
                        - Navneet Singh Chauhan 




Friday, January 1, 2016

Hindi Poem - Yeh Duniya

Hindi Poem "Yeh Duniya"

Yeh reeti riwaj ki duniya. Yeh mitte sanskaro ki duniya.

Yeh bheed me tanhai ki duniya.

Yeh kagajo ki kastiyo ki duniya
Yeh jalte khwabo ki duniya.

Yeh bhaeti sheetal hawao ki duniya.
Yeh garm ret ke thapedo ki duniya.

Yeh jeet ke jashn ki duniya, yeh harti insaniyat ki duniya.
Yeh pyaar ki duniya, yeh tanhai ki duniya.
Yeh makano me ghar talasti duniya.
Yeh kalabazari ki duniya.

Yeh jism ki bhuki duniya, yeh aatma me parmatma talasti duniya.
Yeh bhook se tadapti duniya, yeh mehfil me rang badalti duniya.

Yeh peekar jhoomti duniya, yeh pani ko tarasti duniya.

Kisiki yaado me kat jati tanhai ki duniya.
Sath reh kar bhi ladti jagadti duniya.
Yeh khushi ki chikchariyo ki duniya... yeh aansuo se sani gamo ki duniya.

Yeh karwat badalti 'hansi aur gum' ki duniya. Har rang se rangi hai yeh berang duniya.

- Navneet Singh Chauhan.

Saturday, February 15, 2014

Hindi Poem - Dard Ae Ishq

A friend of mine who got his heart broken on this Valentine's Day... These lines are written for him on request...! Poem is in Hindi...!




Want me to write for you? Drop me an email at info@navneetchauhan.com

Saturday, March 9, 2013

Hindi Poem - Apne huye Begane


Jo Hath Dushman se mil jate hai,
Woh apne kaha reh jate hai?

Woh Dard dushman ke vaar mein kaha hota hai
Jo Dard Apno ke begane ho jane ka hota hai.

Kapta hu, Sehmta hu, Pareshan hu,
Magar apne dil ka hal kise Sunau.
Jinse thi ummeed wahi toh apna na raha.
Kal tak jispe tha bharosa yakin,
aaj wahi apna na raha.

Us ghadi par aaj bhi hai afsoos jab apna samaj hath thama tha.
manjilo door chalne ka vada kiya tha.
sath sath hasne aur rohne ka vada kiya tha.

Magar Jab Ghum ke badal barse, Jab yeh bijli hum par thi giri.
Jab sawan tha phoot kar roya, Jab bhich gai thi apno ki lashe
Tab jispe sabse jyada tha bharosa, Jise thi sari ummed,
Woh the sirf tum, woh the sirf tum.

Nakli aasuao me dubba, aaya tha tu bhi maram lagane
Yaad hai woh waqt jab hath rakha tha tune sirhane.
Maloom na tha ki woh maraham ke bahane tu sakhm de jayega.
Apnepan ke bahane, begana kar jayega.


Kabhi behbas ho kar khudpe hasta hu.
toh khud ko kahi chupa leta hu.
Magar Aaj phir himmat jutata hu.
Haar na manne ki, akhri dum tak ladne ki
Khudme Shakti aur Vishwas jagata hu.
Waqt phir badlega, Aur duba suraj kal phirse niklega
Badlav ki aandhi me tum bhi beh jaoge.
Mere aansuo ke seh-labh me tum bhi doob jaoge.

Mere andar ka soya abhiman jagata hoon.
Swayam hi sansar vijay karne ka pran karta hu.

- Navneet Singh Chuhan

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Regards,
Navneet Singh Chauhan.

Sunday, June 24, 2012

Hindi Poem - O Mere Piya

 Dear Readers.

Here i present my new hindi poem/song. I just wrote today. Hope you will enjoy it.

ओ मेरे पीया तुझे ढूंढे जिया 
ओ मेरे पिया तुझे ढूंढे जिया 
तुझे ढूंढे जिया ओ मेरे पिया 

जहा भी जाओं  ढूंढे तुझे जिया 
जहा भी  जाओं बस तुझे ही खोजे अंखिया 
तुझसे यह केसी प्रीत लगाई  
प्रीत लगा के खुदको भुलाया 
अब  बस   तेरी  याद में खोया 
ओ मेरे पिया तुझे ढूंढे जिया 
ओ मेरे पिया तुझे ढूंढे जिया 

जब नैनो के तू वाण चलाये  
दिल मेरा घायल हो  जाए 
तेरे दर्द से यह टुटा, फिर भी यह तुझको चाहे 
तुझे बुलाये, तुझे पुकारे 
ओ मेरे पिया तुझे ढूंढे जिया 
ओ मेरे पिया तुझे ढूंढे जिया 

प्रीत की यह रूट फिर से आई, सावन बरसे, बरसे नैना 
बरस रहे मेघा, बरस रहे नैना 
भीगा जाये यह दिल हाय 
भीगा जाये यह मन हाय 
तेरी याद में, तेरी बातों में, तेरे ख्वाबो  में दिल ढूबा जाये 
ओ मेरे पिया तुझे ढूंढे जिया 
ओ मेरे पिया तुझे ढूंढे जिया

अब तोह आजा  मेरे पिया, प्यास  भुझा जा 
ओ मेरे पिया...  ओ मेरे पिया 
तू अब तोह आजा यह दूरी घटा जा 
सावन की तरह झूम के बरश जा 
ओ मेरे पिया ओ मेरे पिया... तुझे ढूंढे जिया 
तुझे ढूंढे जिया ओ मेरे पिया... ओ मेरे पिया 

 
- नवनीत सिंह चौहान 

PS - This is just a poem. A work of fiction. It has no correspondence with my real life  :-)

Regards,
Navneet Singh Chauhan

Saturday, January 14, 2012

Hindi Poem - Meri Patang (हिंदी कविता - मेरी पतंग )

मेरी पतंग 


आसमान में देखो लहरा रही मेरी पतंग 
आसमान में हवा से लडती देखो मेरी पतंग


क्षितिज की आस, और अनुभूति की कल्पना से मुस्कुराती
जिंदगी से जुज्ती, टकराती मेरी पतंग


असीम आसमान में अनगिनत  उम्मीद,
अनकहें अनजाने सपनो के साथ,
आसमान में उडती देखो मेरी पतंग।


निचे देख उचाई से घबराती 
और क्षतिजज से दूरी गठ्थी देख मुस्कुराती मेरी पतंग


अचानक यह क्या हुआ, थोड़ी थोड़ी घबराई, थोड़ी सेम्ही मेरी पतंग
सम्पूर्ण रूप से स्वतंत्र आसमान में,
डोर के बंधन से मुक्त लहराती मेरी पतंग


निचे नन्हे हथेलियों में बड़े ख्वाब लिए खडी 
नन्हे बालक को देख मुस्कुरा दी मेरी पतंग
थोडा घबरा के नन्हे बालक के हाथो में आ गई मेरी पतंग


कुछ ही पल में, कुछ पैसों में देखो बिक गयी मेरी पतंग,
पर फिर भी नन्हे बालक की ख़ुशी से खुश थी मेरी पतंग


फिर एक बार उसका सोदा हुआ,
और नए मालिक के हाथ में आ गई मेरी पतंग
सिर्फ एक आखरी उड़ान को व्याकुल देखो मेरी पतंग


उसका यह सपना भी सच हुआ, 
कुछ ही देर में आसमान में, हवा से टकराती 
और क्षतिज की आस में उडती मेरी पतंग


फिर नए जोश, और पूरी ताकत से, 
अपनी आखरी उड़ान को उडती मेरी पतंग


नयी आशा, अभिलाषा और अपनी आखरी उड़ान की अनुभूति के साथ
आसमान में आगे बदती मेरी पतंग


सूरज की किरणों से टकराती, बादलो से बाते करती,
हवाओं में नए गीत गुनगुनाती,
रंग-बिरंगे आसमान में सरगम छेडती मेरी पतंग
चन्द लम्हों की ज़िन्दगी में हर पल जीती मेरी पतंग


ज़िन्दगी कुछ पालो की ख़ुशी और फिर ढेर सारे गम
फिर टूट गया डोर का साथ और वोह सारे सपने,
मिलन की आष और क्षितिज का अधुरा ख्वाब


लाचार बेबस निचे गिरती, ज़मीन पर आ
आन्धे मून गिरी देखो मेरी पतंग
मृत्यु की पीड़ा से तड़पती और ज़िन्दगी से नाराज बेबस मेरी पतंग


इतने में फिर एक आस पैदा हुई उसके मन में
एक पतंग लुटेरा देख नए ख्वाब बुनती मेरी पतंग


पतंग लुटेरा आया, उसे हाथो में उठाया,
पर यह क्या उसे लचर बेबस छोड़ वोह चलदिया
अपना कोई मोल नहीं यह जान टूट गई मेरी पतंग


अंतिम क्षणों में आस्मां के सुन्हेरे रंगों 
और ज़िन्दगी के यादगार लम्हों को यद् करते करते मर गई मेरी पतंग


पर अपने पीछे छोड़ गई, कई सुनहरी यादें,
नन्हे से हाथो में दे गई ढेर साडी आशाएं


मृत्यु दम तक लड़ना 
और हर पल को जीने के सबक के साथ मर गई मेरी पतंग
मर गई मेरी पतंग


- नवनीत सिंह चौहान 

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Thanks for the read;  Will Love to hear from you, Please leave your valuable comments behind.


Regards,
Navneet Singh Chauhan.



Wednesday, December 7, 2011

Hindi Poem on Terrorism

Dear Readers.

Here I present my FIRST POEM. I wrote this poem when I was 15 year old or so.

And coincidentally this is the only PUBLISHED Poem written by me. The poem has been published in Navchetan English Medium School 10th year completion special edition magazine. I have been to this school right from Lower Kindergarten to High School.

The Poem is written in Hindi (India's National Language and my Mother Tongue) and is dedicated to all Terrorists across the globe. Synopsis for English Readers at the end. I will like to translate this Poem in English in Future and in-case I will update this post.

And here it goes....

हाय रे आतंक यह केसा है तू 

Monday, November 14, 2011

Rajput Poem - शूरवीर राजपूत

Dear Readers.

Here I present my New Poem शूरवीर राजपूत  which motivates to fight against Evils, Injustice.





आज या नयी श्रिस्ति रचूंगा, या इस प्राण का दान दूंगा
आज में युद्ध का शंखनाथ बजाता हूँ!
आज में तलवार उठाता हूँ

Thursday, November 10, 2011

Rajput Poem - Rajputana

Dear All Readers.

Being born in a Rajput Chauhan Family is one of the biggest pride i ever had since. So today I am dedicating a poem to all my Rajput brother's and sister's. I hope you will love it and get inspired too. For my English reader's - sorry i am unable to bring the same in English for the time being but you can go through a brief about the poem at the end.