Dear Readers.
Here I present my New Poem शूरवीर राजपूत which motivates to fight against Evils, Injustice.
आज या नयी श्रिस्ति रचूंगा, या इस प्राण का दान दूंगा
आज में युद्ध का शंखनाथ बजाता हूँ!
आज में तलवार उठाता हूँ
ज़िन्दगी जियूँगा तोह अपने उस्सुलो पे
आज माँ चामुंडा की सोगंध खाता हूँ
आज में शंखनाथ बजाता हूँ
आज में तलवार उठाता हूँ
परवाह नहीं आज किसी की,
डर नहीं मृत्युभ का भी
आज नया इतहास रचता हूँ
आज में तलवार उठाता हूँ
सत्य की लड़ाई में आज प्राण निछावर करूँगा
आज अपने पूर्वजो का सर गर्व से फिर ऊँचा करूँगा
आज में तलवार उठाता हूँ
शोर्ये के नए मायने रचूंगा
आज केसरी रंग में खुद को रंगुंगा
आज में अँधेरे का सीना चीर सत्य को रोशन करूँगा
आज में तलवार उठाता हूँ
पर्वत हो चाहे कितना भी ऊँचा
आकाश की छाती चीर आज संहार करूँगा
आज में युद्ध का शंखनाथ बजाता हूँ
आज में तलवार उठाता हूँ
सत्य को आज रोशन करुँग
आज नया इतहास रचूंगा
या गौरव रथ हासिल करूँगा
या हजारो वीरो की गुमनामी में खो जाऊंगा
मगर आज में नहीं जुकुंगा
मृत्युभ या लक्ष्य किसी एक को हसील करूँगा
आज में तलवार उठाता हूँ
Here I present my New Poem शूरवीर राजपूत which motivates to fight against Evils, Injustice.
आज या नयी श्रिस्ति रचूंगा, या इस प्राण का दान दूंगा
आज में युद्ध का शंखनाथ बजाता हूँ!
आज में तलवार उठाता हूँ
ज़िन्दगी जियूँगा तोह अपने उस्सुलो पे
आज माँ चामुंडा की सोगंध खाता हूँ
आज में शंखनाथ बजाता हूँ
आज में तलवार उठाता हूँ
परवाह नहीं आज किसी की,
डर नहीं मृत्युभ का भी
आज नया इतहास रचता हूँ
आज में तलवार उठाता हूँ
सत्य की लड़ाई में आज प्राण निछावर करूँगा
आज अपने पूर्वजो का सर गर्व से फिर ऊँचा करूँगा
आज में तलवार उठाता हूँ
शोर्ये के नए मायने रचूंगा
आज केसरी रंग में खुद को रंगुंगा
आज में अँधेरे का सीना चीर सत्य को रोशन करूँगा
आज में तलवार उठाता हूँ
पर्वत हो चाहे कितना भी ऊँचा
आकाश की छाती चीर आज संहार करूँगा
आज में युद्ध का शंखनाथ बजाता हूँ
आज में तलवार उठाता हूँ
सत्य को आज रोशन करुँग
आज नया इतहास रचूंगा
या गौरव रथ हासिल करूँगा
या हजारो वीरो की गुमनामी में खो जाऊंगा
मगर आज में नहीं जुकुंगा
मृत्युभ या लक्ष्य किसी एक को हसील करूँगा
आज में तलवार उठाता हूँ
- नवनीत सिंह चौहान
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