Navneet Singh Chauhan is a digital marketer by profession and a writer by heart. He cares for the nation and the world. Vasudhaiva Kutumbakam
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Hindi Poem - Meri Patang (हिंदी कविता - मेरी पतंग )
मेरी पतंग
आसमान में देखो लहरा रही मेरी पतंग
आसमान में हवा से लडती देखो मेरी पतंग
क्षितिज की आस, और अनुभूति की कल्पना से मुस्कुराती
जिंदगी से जुज्ती, टकराती मेरी पतंग
असीम आसमान में अनगिनत उम्मीद,
अनकहें अनजाने सपनो के साथ,
आसमान में उडती देखो मेरी पतंग।
निचे देख उचाई से घबराती
और क्षतिजज से दूरी गठ्थी देख मुस्कुराती मेरी पतंग।
अचानक यह क्या हुआ, थोड़ी थोड़ी घबराई, थोड़ी सेम्ही मेरी पतंग
सम्पूर्ण रूप से स्वतंत्र आसमान में,
डोर के बंधन से मुक्त लहराती मेरी पतंग
निचे नन्हे हथेलियों में बड़े ख्वाब लिए खडी
नन्हे बालक को देख मुस्कुरा दी मेरी पतंग
थोडा घबरा के नन्हे बालक के हाथो में आ गई मेरी पतंग
कुछ ही पल में, कुछ पैसों में देखो बिक गयी मेरी पतंग,
पर फिर भी नन्हे बालक की ख़ुशी से खुश थी मेरी पतंग
फिर एक बार उसका सोदा हुआ,
और नए मालिक के हाथ में आ गई मेरी पतंग
सिर्फ एक आखरी उड़ान को व्याकुल देखो मेरी पतंग
उसका यह सपना भी सच हुआ,
कुछ ही देर में आसमान में, हवा से टकराती
और क्षतिज की आस में उडती मेरी पतंग
फिर नए जोश, और पूरी ताकत से,
अपनी आखरी उड़ान को उडती मेरी पतंग
नयी आशा, अभिलाषा और अपनी आखरी उड़ान की अनुभूति के साथ
आसमान में आगे बदती मेरी पतंग
सूरज की किरणों से टकराती, बादलो से बाते करती,
हवाओं में नए गीत गुनगुनाती,
रंग-बिरंगे आसमान में सरगम छेडती मेरी पतंग
चन्द लम्हों की ज़िन्दगी में हर पल जीती मेरी पतंग
ज़िन्दगी कुछ पालो की ख़ुशी और फिर ढेर सारे गम
फिर टूट गया डोर का साथ और वोह सारे सपने,
मिलन की आष और क्षितिज का अधुरा ख्वाब
लाचार बेबस निचे गिरती, ज़मीन पर आ
आन्धे मून गिरी देखो मेरी पतंग
मृत्यु की पीड़ा से तड़पती और ज़िन्दगी से नाराज बेबस मेरी पतंग
इतने में फिर एक आस पैदा हुई उसके मन में
एक पतंग लुटेरा देख नए ख्वाब बुनती मेरी पतंग
पतंग लुटेरा आया, उसे हाथो में उठाया,
पर यह क्या उसे लचर बेबस छोड़ वोह चलदिया
अपना कोई मोल नहीं यह जान टूट गई मेरी पतंग
अंतिम क्षणों में आस्मां के सुन्हेरे रंगों
और ज़िन्दगी के यादगार लम्हों को यद् करते करते मर गई मेरी पतंग
पर अपने पीछे छोड़ गई, कई सुनहरी यादें,
नन्हे से हाथो में दे गई ढेर साडी आशाएं
मृत्यु दम तक लड़ना
और हर पल को जीने के सबक के साथ मर गई मेरी पतंग
मर गई मेरी पतंग
- नवनीत सिंह चौहान
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Regards,
Navneet Singh Chauhan.
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